रतन टाटा का पार्थिव शरीर आज सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मुंबई के नरीमन प्वाइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए ) में रखा जाएगा, जहां लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकेंगे।
मुंबई : उद्योग जगत के दिग्गज रतन टाटा का बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में 86 साल की उम्र में निधन हो गया । उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। महाराज के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी दिग्गज उद्योगपति और परोपकारी व्यक्ति के सम्मान में गुरुवार को एक दिन के शोक की घोषणा की महाराष्ट्र में सरकारी दफ्तरों में सम्मान के तौर पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा गुरुवार को होने वाले कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं।
रतन टाटा का पार्थिव शरीर आज सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मुंबई के नरीमन प्वाइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में रखा जाएगा, जहां लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दे सकेंगे। अंतिम संस्कार आज दिन में वर्ली इलाके में किया जाएगा गृह मंत्री अमित शाह अंतिम संस्कार में शामिल होंगे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान – भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओस रवाना हो गए हैं।
रतन टाटा : उद्योगपति, परोपकारी और भारतीय आईकॉन
श्री टाटा की मृत्यु भारतीय व्यापार जगत में एक युग का अंत है, जहां एक व्यक्ति ने देश के औद्योगिक परिदृश्य को नया रूप दिया और अपने परिवार के स्वामित्व वाले समूह को एक वैश्विक महाशक्ति में तब्दील कर दिया। हालांकि, 6 महाद्वीपों के 100 से ज्यादा देश में काम करने वाली 30 से ज्यादा कंपनियों पर उनका नियंत्रण था, लेकिन श्री टाटा ने एक सादगी पूर्ण जीवन जिया। अपने विशाल प्रभाव और सफलता के बावजूद, वे कभी भी अरबपतियों की सूची में नहीं आए और शांत ईमानदारी और शालीनता के प्रतीक बने रहे।
रतन टाटा का अंतिम संस्कार शाम 4:00 बजे होगा आयोजन
28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में जन्मे श्री टाटा भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवारों में से एक थे। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे एक ऐसी कंपनी जो 1868 में एक मामूली व्यापारिक फॉर्म के रूप में शुरू हुई थी, लेकिन बाद में स्टील, नमक, ऑटोमोबाइल, सॉफ्टवेयर और यहां तक के एयरलाइंस जैसे विविध उद्योगों में फैले एक व्यापारिक साम्राज्य में।
रतन टाटा का निधन: भारत के सबसे प्रिय उद्योगपति के बारे में 10 तथ्य
श्री टाटा का प्रारंभिक जीवन विशेषाधिकार और कठिनाई दोनों के संपर्क में रहे। जब वे बच्चे थे तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे, इसके बाद उनकी दादी लेडी नवाज़ बाई टाटा ने उनका पालन पोषण किया उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने से पहले उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। श्री टाटा ने कार्नेल विश्वविद्यालय में अध्ययन किया, जहां उन्होंने 1962 में वास्तुकला में विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
बाद में उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम में दाखिल लिया, लेकिन 1960 के दशक के आरंभ में जब वह पारिवारिक व्यवसाय में काम करने के लिए भारत लौट आए, तो आर्किटेक्ट के रूप में अपना करियर बनाने में उनकी रुचि पीछे छूट गई। उन्होंने टाटा स्टील के जमशेदपुर प्लांट के शॉप फ्लोर पर काम किया। सीखने का यह व्यावहारिक दृष्टिकोण में उनकी नेतृत्व शैली को परिभाषित करेगा।
रतन टाटा की आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट
1971 में उन्हें टाटा समूह की संघर्षरत सहायक कंपनी नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। हालांकि, उन्हें सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद 1970 के दशक के आर्थिक माहौल में कंपनी की किस्मत नहीं बदल सकी 1991 में श्री टाटा ने अपनी दिग्गज चाचा जेआरडी टाटा की जगह टाटा समूह के अध्यक्ष का पद संभाला। जेआरडी जिन्होंने लगभग 50 वर्षों तक समूह का नेतृत्व किया था, एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में अपने चाचा जेआरडी टाटा की जगह ली।
1991 में श्री टाटा ने अपने दिग्गज चाचा जेआरडी टाटा की जगह टाटा समूह के अध्यक्ष का पद संभाला हालांकि, उन्होंने जल्द ही अपने संदेहियों को गलत साबित कर दिया। 1991 में वह वर्ष भी था जब भारत में उदारीकरण के माध्यम से अपने अर्थव्यवस्था को खोल, अपने संरक्षण वादी नीतियों से दूर चला गया। श्री टाटा ने इस अवसर का लाभ उठाकर टाटा समूह को एक नए युग में ले गए उनके नेतृत्व में, समूह ने वैश्विक विस्तार तकनीकी नवाचार और आधुनिक प्रबंधन प्रथाओं को अपनाया।
सुंदर पिचाई ने रतन टाटा के साथ आखिरी मुलाकात को याद किया
रतन टाटा भले ही व्यवसाय जगत के एक दिग्गज थे, लेकिन उन्हें उनके परोपकार के लिए भी उतना ही सम्मान दिया जाता था। उनके परोपकारी प्रयासों को बड़े पैमाने पर टाटा ट्रस्ट के माध्यम से संचालित किया गया था जो उनके परदादा जमशेद जी टाटा द्वारा स्थापित धर्मार्थ संगठनों का एक समूह है यह ट्रस्ट टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अधिकांश शेयरों को नियंत्रित करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कंपनी की अधिकांश संपत्ति सामाजिक भलाई के लिए उपयोग की जाती थी। श्री टाटा जिन्होंने 1991 में टाटा समूह की बागडोर संभाली थी, ने समूह द्वारा कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसी अंतरराष्ट्रीय फर्मो की अधिग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने स्टील और आटोमोटिव से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी तक कई क्षेत्रों में समूह के प्रभाव का विस्तार किया पद्म विभूषण से सम्मानित श्री टाटा 2012 में सेवानिवृत हो गए हैं लेकिन समूह का मार्गदर्शन करना जारी रखा और परोपकार में सक्रिय रहे। 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष पर से हटाने के बाद से टाटा युवा उद्यमियों को सलाह देने और स्टार्टअप में निवेश करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे अपने निवेश फॉर्म और अंतिम कैपिटल एडवाइजर के माध्यम से श्री टाटा ने ओला इलेक्ट्रिक पेटीएम और लेंसकार्ट सहित 30 से अधिक स्टार्टअप का समर्थन किया।
उनके निधन पर पूरे देश में शोक और श्रद्धांजलि की लहर है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री टाटा को एक दूरदर्शी कारोबारी नेता और दयालु आत्मा के रूप में याद किया कारोबारी नेता गौतम अडानी, आनंद महिंद्रा और सुंदर पिचाई ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की।
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